बिहार में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। अगले दो दिन भी ठंड से निजात के आसार नहीं है। कई जगहों पर ठंड में भारी बढ़ोतरी हो सकती है। मौसम की परिस्थतियों को देखते हुए पटना मौसम विज्ञान केंद्र ने बुधवार से राज्य भर में सात जनवरी तक के लिये शीत दिवस का अलर्ट जारी किया है।
शीत लहर के प्रकोप से बचने के लिए क्या करें और क्या ना करें पूरी जानकारी जानें ..
क्या करें
पहले -
• पर्याप्त सर्दियों के कपड़े लें। कपड़ों की कई परतें भी उपयोगी है ।
• आपातकालीन आपूर्तियाँ तैयार रखे ।
दौरान -
• जितना संभव हो सके घर के अंदर रहें, ठंडी हवा के संपर्क आने से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें ।
• सूखा रहे । यदि गीला हो, तो शरीर की गर्मी के नुकसान को रोकने के लिए जल्दी से कपड़े बदलें ।
• दस्तानों पर मिट्टन्स को प्राथमिकता दें, मिट्टन्स ठंड से अधिक गर्मी और इन्सुलेशन रंग की उपस्थिति जैसे तुषार उपघात के लक्षणों के लिए देखें ।
• रेडियो को सुने, टीवी देखें, मौसम के अपडेट के लिए अखबार पढ़े ।
• नियमित रूप से गरम पेय पीयें।
• बुजुर्ग लोगों और बच्चों का ध्यान रखें।
• पानी का पर्याप्त भंडारण करें क्योंकि पाइप जम सकती है ।
• उंगलियों, पैर की उंगलियों, कान का पालि और नाक की नोक पर सुन्नता, सफेद या फीके
• तुषार उपघात से प्रभावित भाग को गुनगुने गर्म पानी में डाले न की बहुत गर्म पानी में
( शरीर के अप्रभावित भाग को छूने के लिए तापमान आरामदायक होना चाहिए) ।
अल्पताप (हाइपोथर्मिया) के मामले में -
• व्यक्ति को गर्म स्थान पर ले जाएँ और उसके कपड़े बदले ।
• त्वचा से त्वचा को सम्पर्क में लाकर, कंबल, कपड़े, तौलिया और चादर की सूखी परतों के साथ व्यक्ति के शरीर को गर्म करें ।
• शरीर के तापमान को बढ़ाने में मदद करने के लिए गर्म पेय पीने के लिए दें। शराब न दें।
• स्थिति बिघड़ने पर चिकित्सीय ध्यान दें ।
क्या न करें -
• शराब न पीये। यह आपके शरीर के तापमान को कम करता है ।
• तुषार उपघात वाली जगह मालिश न करें। इससे और अधिक नुकसान होता है । • कंपकंपी को नज़रअंदान न करें। यह एक महत्वपूर्ण पहला संकेत है कि शरीर गर्मी को रहा है और घर के अंदर जल्दी लौटने के लिए एक संकेत है।
कृषि में शीत लहर / धरातलीय तुषार के लिए क्या करें और क्या न करें -
क्या करें -
• फसलों को ठंड की चोट से बचाने के लिए शाम के समय हल्की और बारंबार सिंचाई / स्पीकलर सिंचाई करें सरकंडा / पुआल / पॉलिथीन शीट / बोरियों के साथ नये फल पौधों को ढ़क दें । छिद्रयुक्त पॉलिथीन बैग्ज के साथ केले के गुच्छों को ढक दें ।
• चावल की नर्सरी में : नर्सरी बेडस को रात के समय पॉलिथीन शीट से ढ़क दें और सुबह हटा दें । शाम को नर्सरी बेड में सिंचाई करें और सुबह पानी निकाल दें। • सरसों, राजमा और चना जैसी संवेदनशील फसलों को ठंड के हमले से बचाने के लिए, सल्फ्यूरिक एसिड 0.1% की दर से ( 1000 लीटर पानी में 1 लीटर सल्फ्यूरिक एसिड) या थियुरिया 500 पीपीएम की दर से (500 ग्राम थियुरिया 1000 लीटर पानी में) छिड़काव करें ।
• फरवरी के अंत तक या मार्च की शुरुआत में पौधों के प्रभावित हिस्सों की छंटाई करें । छांटे गए पौधों पर कॉपर फफूंदनाशकों का छिड़काव करें और सिंचाई के साथ एनपीके डालें।
क्या न करें -
• ठंड के मौसम में मिट्टी पर पोषक तत्व न डालें, खराब जड़ गतिविधियों के कारण पौधे पोषक तत्वों को आगे नहीं बढ़ा सकते हैं । • मिट्टी न हिलाएं, ढीली सतह निचली सतह से गर्मी के प्रवाह को कम करती है
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